भोपाल -
स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली से नाराज नर्सिंग छात्रों से लेकर एएनएम और आउटसोर्स कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन राजधानी के अलग-अलग स्थानों पर चल रहा है। एक तरफ जहां नर्सिंग छात्र संगठन का अंबेडकर पार्क में और मध्य प्रदेश संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का शाहजहानी पार्क में प्रदर्शन जारी है। वहीं, महिला बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एएनएम मध्य प्रदेश की ममता हिरवे अपने साथियों के साथ 1250 परिसर में आमरण अनशन पर बैठी हैं।
10 मांगों को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का धरना
मध्य प्रदेश संविदा-आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के आव्हान पर सोमवार को शाहजहानी पार्क में शाम 4 बजे तक आउटसोर्स और रोगी कल्याण समिति के स्वास्थ्य कर्मचारी धरना प्रदर्शन करेंगे। ये कर्मचारी शोषण प्रथा के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और आउटसोर्स-रोगी कल्याण समिति कर्मचारियों के लिए नीति बनाने और न्यूनतम वेतन 21,000 रुपए तय करने समेत 10 सूत्रीय मांग कर रहे हैं।
कर्मचारियों का आरोप है कि प्रदेश के 30 हजार से अधिक आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी, जिनमें सपोर्ट स्टाफ, डेटा एंट्री ऑपरेटर, वार्ड आया-बॉय, ऑक्सीजन टेक्नीशियन, सुरक्षा कर्मी और सफाई कर्मी कई सालों से सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे हैं। सरकार ने 10 साल में भी उनके लिए ठोस नीति नहीं बनाई है। निजी आउटसोर्स एजेंसियां मनमर्जी से वेतन तय कर रही हैं, कई जिलों में 4-5 महीने से वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया।
संघ के मुख्य आरोप
आउटसोर्स कंपनियां और जिला अधिकारी वेतन में हर महीने करोड़ों रुपए का घोटाला कर रहे हैं।
कुशल और अर्द्ध-कुशल श्रमिक दर तय होने के बावजूद कर्मचारियों को केवल 60-70% वेतन दिया जा रहा है।
वेतन न मिलने से कर्मचारियों के परिवार आर्थिक संकट में हैं।
500 एएनएम अभ्यर्थियों का आमरण अनशन
मध्य प्रदेश की लगभग 500 महिला बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एएनएम) अभ्यर्थी सोमवार से भोपाल के 1250 जेपी अस्पताल परिसर में आमरण अनशन पर बैठ गई हैं। इस आंदोलन का नेतृत्व ममता हिरवे कर रही हैं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि छह महीने पहले नौकरी मिलने के बाद बिना पूर्व सूचना उन्हें हटा दिया गया और नए नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए जा रहे।
हिरवे ने कहा कि 5 जून 2025 को अभ्यर्थियों ने पांच दिवसीय धरना दिया था, जिसके बाद उप मुख्यमंत्री ने मौखिक आश्वासन दिया था कि सोमवार तक नियुक्ति आदेश जारी होंगे, लेकिन एक माह बीतने के बाद भी कोई आदेश जारी नहीं हुआ।
मुख्य मांगें
सभी योग्य अभ्यर्थियों को तुरंत नियमित नियुक्ति आदेश जारी किए जाएं।
वेटिंग लिस्ट और मेरिट लिस्ट को पारदर्शी तरीके से लागू किया जाए।
पिछले आदेशों को निरस्त करने की कार्रवाई बंद हो।
संविदा कर्मचारियों को नियमों के मुताबिक आरक्षण और अनुभव अंक दिए जाएं।
जिला आवंटन में चल रहे कथित भ्रष्टाचार की जांच हो।
नौकरी दी जाए या फिर इच्छा मृत्यु
अभ्यर्थियों ने बताया कि लंबे समय से वेतन न मिलने के कारण परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। कुछ अभ्यर्थियों ने कहा, हमें नौकरी दी जाए या फिर इच्छा मृत्यु। जब तक सभी को लिखित नियुक्ति आदेश नहीं मिलते, तब तक वे अन्न-जल त्यागकर आमरण अनशन करेंगे। आंदोलन का नेतृत्व कर रहीं ममता हिरवे (प्रांत प्रमुख, राष्ट्रीय मानवाधिकार न्याय आयोग) ने कहा, यह लड़ाई केवल नौकरी के लिए नहीं, बल्कि न्याय और अधिकारों के लिए है।