उज्जैन -
11 जुलाई से शुरू हुए श्रावण माह में इस बार चार सोमवार आएंगे। श्रावण माह 9 अगस्त को राखी के दिन समाप्त होगा। श्रावण माह के पहले ही दिन 11 जुलाई को 1.26 लाख दूसरे दिन 12 जुलाई को 1.29 लाख भक्तो ने भगवान महाकाल के दर्शन किए है।
इस दौरान बीते 3 दिनों में भस्म आरती में चलित और अनुमति पास धारक वाले करीब 12 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भस्म आरती के दर्शन किए। 30 दिनों तक चलने वाले श्रावण माह में करीब 80 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के महाकाल के दर्शन करने का अनुमान है।
14 जुलाई को श्रावण माह के पहले सोमवार पर महाकाल मंदिर के पट तड़के 2:30 बजे खोले जायेंगे। इस दौरान भगवान का पंचामृत अभिषेक पूजन कर सुबह भस्म आरती से दर्शनों का सिलसिला शुरू होगा जो रात 10:30 बजे तक निरन्तर जारी रहेगा। सोमवार को बाबा महाकाल की प्रथम सवारी निकलेगी। सवारी की पालकी में श्री मनमहेश स्वरुप में भगवान के दर्शन होंगे। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त सवारी के दर्शन के लिए भी पहुंचेंगे।
वैदिक उद्घोष की थीम पर होगी पहली सवारी
सोमवार यानि कल निकलने वाली श्री महाकालेश्वर की सवारी भव्य रूप में निकाली जाएगी। श्रावण-भादो-मास में निकलने वाली 6 सवारी अलग-अलग थीम पर आधारित होगी। 14 जुलाई को पहली सवारी वैदिक उद्घोष की थीम पर होगी। रामघाट और दत्त अखाड़ा पर बटुकों द्वारा भव्य वैदिक उद्घोष किया जाएगा और बटुकों द्वारा सवारी मार्ग में वैदिक उद्घोष किया जायेगा। जनजातियों के समूहों द्वारा भगवान श्री महाकाल की सवारी में मनमोहक प्रस्तुती दी जायेगी। सावन माह में प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक संध्या भी आयोजित की जाएगी जिसमें प्रसिद्ध कलाकारों की प्रस्तुतियां भी होगी।
चांदी की नई पालकी में सवार होंगे महाकाल
यह पालकी एक वर्ष पहले भिलाई के एक भक्त ने गुप्त दान में दी थी। पिछले वर्ष की पालकी को पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने अनफिट घोषित किया था। नई पालकी उज्जैन में 100 दिनों में तैयार की गई है। इसमें सागौन की लकड़ी और स्टील के पाइप का उपयोग किया गया है। पालकी पर करीब 20 किलो 600 ग्राम चांदी का आवरण है। 100 किलो बजनी पालकी की लंबाई 17 फीट है। यह तीन फीट चौड़ी और पांच फीट लंबी है। पालकी को उठाने वाले हत्थे पर सिंह मुख की आकृति बनाई गई है। चांदी के आवरण पर सूर्य, स्वास्तिक, कमल पुष्प और दो शेरों की नक्काशी की गई है।
5 सवारी और उनके मुखारविंद
भगवान श्री महाकालेश्वर की द्वितीय सवारी 21 जुलाई, तृतीय सवारी 28 जुलाई, चतुर्थ सवारी 4 अगस्त, पंचम सवारी 11 अगस्त और राजसी सवारी 18 अगस्त को निकाली जाएगी। प्रथम सवारी में पालकी में श्री मनमहेश, द्वितीय सवारी में पालकी में श्री चंद्रमोलेश्वर और हाथी पर श्री मनमहेश, तृतीय सवारी में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर हाथी पर श्री मनमहेश और गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव, चतुर्थ सवारी में पालकी में श्री चंद्रमोलेश्वर हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव और नंदी रथ पर श्री उमा महेश, पांचवी सवारी में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव नंदी रथ पर श्री उमा महेश और रथ पर श्री होलकर स्टेट और राजसी सवारी में पालकी में श्री चंद्रमोलेश्वर ,हाथी पर श्री मन महेश, गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव नंदी रथ पर श्री उमा महेश, रथ पर श्री होलकर स्टेट और रथ पर श्री सप्तधान मुखारविंद के रूप में भगवान विराजित होंगे।
इन मार्गो निकलेगी सवारी
भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी 4 बजे निकलेगी। मंदिर से विभिन्न मार्गो से होती हुई शिप्रा नदी के रामघाट पर पहुंचेगी। यहां पूजन के पश्चात सवारी शाम 7 बजे तक मन्दिर लौटेगी। प्रथम सवारी महाकाल मंदिर से निकलकर महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। यहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मन्दिर पहुंचेगी।
हर सवारी में अलग थीम
इस बार सभी 6 सवारियों में अलग अलग थीम देखने को मिलेगी। प्रथम सवारी में वैदिक उद्घोष, द्वितीय सवारी में लोक नृत्य की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इसमें लोक नृत्य मटकी नृत्य मध्यप्रदेश, गणगौर नृत्य राजस्थान, बिहू नृत्य आसाम, भवाई नृत्य गुजरात, पुलियाट्म या टाइगर नृत्य कर्नाटक की प्रस्तुति रामघाट पर दी जाएगी। तीसरी सवारी में पुलिस बैंड, आर्मी बैंड, होमगार्ड बैंड और निजी बैंड के द्वारा आकर्षक प्रस्तुति दी जाएगी।
चतुर्थ सवारी में पर्यटन की थीम पर मांडू के महल, सांची के स्तूप, खजुराहो के शिव मंदिर, देवी अहिल्या किला महेश्वर, भीम बेटका, ग्वालियर का किला, उदयगिरि की गुफाएं, विदिशा बाग की गुफाएं, धार की झांकियां निकाली जाएंगी। भगवान श्री महाकालेश्वर की पंचम सवारी में धार्मिक थीम रहेगी, जिसमें श्री कृष्ण पाथेय और प्रदेश के धार्मिक पर्यटन स्थलों व मंदिरों की झांकी निकाली जाएंगी। साथ ही सवारियों में विभिन्न जिलों के पृथक-पृथक जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति भी दी जाएंगी। राजसी सवारी में 70 से अधिक भजन मंडलियों द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी।
पाली बार 47 कलाकार 23 दिन तक देंगे प्रस्तुति
श्री महाकाल महालोक में सावन माह में प्रतिदिन शाम में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी। श्रावण महोत्सव में इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त 13 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक 23 दिवसों में (श्रावण महोत्सव के दिन, सवारी के दिन, नाग पंचमी और 15 अगस्त को छोड़कर) श्री महाकालेश्वर सांस्कृतिक संध्या नाम से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इनकी प्रस्तुती श्री महाकाल महालोक परिसर में सप्त ऋषियों की मूर्ति के समीप शाम को 6 बजे से 8 बजे तक दी जाएगी, जिसमें देशभर से 47 कलाकार समूह प्रस्तुति देंगे।