मंदसौर -
गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। यहां कैमरा ट्रैप में दुर्लभ मांसाहारी प्रजाति ‘स्याहगोश’ (कैराकल) की मौजूदगी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार स्याहगोश बेहद शर्मीला, तेज दौड़ने वाला और आमतौर पर रात में सक्रिय रहने वाला जानवर है। यह ज्यादातर शुष्क, पथरीले और झाड़ियों वाले इलाकों में पाया जाता है। भारत में यह प्रजाति अब विलुप्तप्राय श्रेणी में गिनी जाती है और इसकी उपस्थिति बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है।
गांधीसागर अभयारण्य के वन अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में कैमरा ट्रैप में एक वयस्क नर कैराकल की मौजूदगी साफ नजर आई। यह इस बात का संकेत है कि अभयारण्य का पारिस्थितिक तंत्र अब भी इतना समृद्ध और संतुलित है कि वह इस जैसी दुर्लभ प्रजातियों को भी सुरक्षित आश्रय दे सकता है।
डीएफओ संजय रायखेरे ने बताया कि मप्र में वर्षों बाद किसी संरक्षित क्षेत्र में स्याहगोश की मौजूदगी दर्ज होना गर्व की बात है। यह सिर्फ वन्यजीव शोध के लिए ही नहीं बल्कि राज्य के संरक्षण प्रयासों की सफलता का भी प्रमाण है।
शर्मीला और रात में सक्रिय रहने वाला ये जानवर भारत में विलुप्त श्रेणी में गिना जाता है
कुनबा बढ़ाने की कवायद, अब मादा को ढूंढेंगे
विशेषज्ञों का कहना है कि जिले में यदि नर कैराकल है तो पूरी संभावना है कि मादा भी होगी। इसके बाद वन विभाग ने इसके संभावित स्थानों पर और कैमरे लगाकर मादा कैराकल को ढूंढने की कवायद शुरू कर दी है। डीएफओ रायखेरे के मुताबिक शर्मीला जीव होने के कारण इसे शांत जगह चाहिए। इसका क्षेत्र पता चलने पर वहां व्यक्तियों व जीवों की आवाजाही कम करेंगे।