इंदौर -
शहर में शनिवार को रविन्द्र नाट्य गृह में ‘न्यायवाणी 2025’ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी और सतीचंद्र शर्मा, मप्र हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा, जस्टिस विवेक रूसिया (इंदौर पीठ), जस्टिस आनंद पाठक (ग्वालियर पीठ) सहित अन्य विधि विशेषज्ञ शामिल हुए। इसमें 'न्यायदान में प्रौद्योगिक और फोरेंसिक साइंस का उपयोगट विषय पर गहन चर्चा हुई।
अपने संबोधन में जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा यह निश्चित रूप से उपयोगी है लेकिन यह खतरनाक भी हो सकती है। आजकल यू ट्यूब पर हर शब्द रिकॉर्ड होकर अपलोड हो सकता है। उन्होंने सभी न्यायाधीशों को इसे लेकर सलाह दी और कहा कि वकील हों या जज, दोनों को अपनी भाषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अदालत में कही गई हर बात रिकॉर्ड हो रही है।
जस्टिस जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी ने तकनीक से जुड़ी एक घटना साझा करते हुए बताया कि एक बार दिल्ली हाई कोर्ट में जज से जुड़ी एक घटना का वीडियो यूट्यूब पर डाला गया, लेकिन उसमें गलती से दूसरी फोटो लगा दी गई। अच्छा रहा कि अगली सुबह वह वीडियो हटा लिया गया। उन्होंने कहा कि अब जीपीएस ट्रैकिंग, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग, सीटीवी मॉनटिरिंग,साइबर फॉरेंसिक और ड्रोन निगरानी जैसे माध्यम अब सिविल और क्रिमिनल केसों में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
कोरोना समय से न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकों से आया काफी बदलाव
उन्होंने कहा कि कोरोना के समय न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकों के कारण काफी बदलाव आया और महत्व भी बढ़ा। मैंने भी ज़ूम के माध्यम से सुनवाई की थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने अदालतों के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर डेवलप किया। आज के दौर में यदि आपके पास मोबाइल फोन है, तो आप निगरानी के दायरे में हैं। इस कारण संगठित अपराध से जुड़े लोग मोबाइल फोन का उपयोग ही नहीं करते।
मप्र हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेव ने डिजिटल साक्ष्य के उपयोग, न्याय व्यवस्था में भूमिका अपनी बात कही। आनंद पाठक (प्रशासनिक न्यायाधीश, ग्वालियर हाईकोर्ट) द्वारा भी प्रेजेंटेशन के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी और उद्बोधन दिया। इंदौर बेंच के जस्टिस विवेक रूसिया ने डिजिटल साक्ष्य पर उद्बबोधन दिया। हर्ष शर्मा (फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट) द्वारा क्राइम सीन, क्रिमिनल केस साक्ष्य, फॉरेंसिक साइंस के उपयोग आदि पर मार्गदर्शन दिया।
कार्यक्रम का आयोजन हाई कोर्ट अधिवक्ता परिषद द्वारा किया गया। संगोष्ठी में तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए। इनमें मध्य प्रदेश के एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह, डॉ. हर्ष शर्मा (विशेष कार्याधिकारी, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, भोपाल), एडवोकेट विक्रम दुबे (राष्ट्रीय सचिव, अधिवक्ता परिषद), प्रांत उमेश यादव आदि शामिल रहे। हाई कोर्ट अधिक्ता परिषद के एडवोकेट सुनील जैन (अध्यक्ष ) और प्रसन्ना भटनागर (महामंत्री) बताया कि इस आयोजन के लिए मालवा क्षेत्र के 16 जिलों के 1100 से ज्यादा विधि विशेषज्ञ शामिल हुए।
देश में 8वीं बार नंबर आने पर इंदौर की तारीफ
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने अपने उद्बोधन में इंदौर के 8वीं बार स्वच्छता में देश में नंबर वन आने पर मुक्त कंठ प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित मेयर पुष्य मित्र भार्गव को उपलब्धि पर बधाई दी।
दिव्यांग गुरदीप कौर और पुरोहित दंपती का सम्मान
कार्यक्रम में अतिथियों द्वार इंदौर की गुरदीप कौर वासु, अंध मूक बधिर (तिहरी दिव्यांगता) और आनंद सर्विस सोसायटी के संचालक दंपती ज्ञानेंद्र-मोनिका पुरोहित का निस्वार्थ भाव से काम करने के लिए सम्मान किया गया। गुरुदीप भारत की पहली डीफ ब्लाइंड श्रेणी के तहत वाणिज्य कर विभाग में नौकरी करने वाली युवती है।
अधिवक्ता परिषद की स्थापना 1992 में हुई थी
अधिवक्ता परिषद की स्थापना 7 सितंबर 1992 को हुई थी। परिषद की इकाइयां देशभर में जिला और तहसील स्तर तक सक्रिय हैं। परिषद समय-समय पर बस्तियों में न्याय शिविर आयोजित करने, कार्यशालाएं, संगोष्ठियां और व्याख्यानमालाएं आयोजित करने जैसे सामाजिक और विधिक जागरूकता से जुड़े कार्य करती है।