मंदसौर - मंदसौर जिला अस्पताल के दो आउटसोर्स कर्मचारी बीमार बुजुर्ग को चादर में उठाकर बस स्टैंड पर यात्री प्रतीक्षालय में छोड़कर जाने लगे। जब लोगों ने कहा कि वे कलेक्टर से शिकायत करेंगे तो कर्मचारी बुजुर्ग को वापस ऑटो में लिटाकर ले गए।
लोगों ने भड़कते हुए कहा, मरीज को मरना होगा तो वो अस्पताल में ही जान देगा न। इस तरह लावारिस क्यों छोड़ना है। इस पर कर्मचारी कहने लगे कि हमारा अधिकारी जो कहेगा वैसा ही करेंगे। मामला गुरुवार रात का है, जिसका वीडियो आज सामने आया है।
बस स्टैंड पर यात्री प्रतीक्षालय के ऊपर स्थित कार्यालय के शैलेंद्र सिसोदिया ने बताया कि बुजुर्ग की हालत सही नहीं थी और उन्हें उपचार की जरूरत थी।
सिविल सर्जन बोले- कर्मचारियों ने गलत किया
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. बीएल रावत ने बताया, बुजुर्ग बाबूलाल देवा खून की कमी और बुखार के कारण शनिवार को वार्ड में भर्ती हुए थे। फिजिशियन ने उनका इलाज किया। उन्हें 3 यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया। हालत में सुधार होने के कारण डॉक्टर ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। मरीज के साथ कोई अटेंडर नहीं होने की सूचना पुलिस को दी गई थी। कर्मचारियों को मरीज को स्ट्रेचर और एम्बुलेंस से ले जाना था, लेकिन वे कपड़े का स्ट्रेचर बनाकर ले जाने का प्रयास कर रहे थे, जो गलत है।
जिला अस्पताल में आउटसोर्स कर्मचारी हैं युवक
वीडियो में दिख रहे कर्मचारियों की पहचान आकाश गौहर और कमलेश टांक के रूप में हुई है। दोनों जिला अस्पताल में आउटसोर्स कर्मचारी हैं। मरीज को बस स्टैंड भेजे जाने के सवाल पर सिविल सर्जन डॉ. बीएल रावत ने बताया कि डॉक्टर सिर्फ डिस्चार्ज कर सकते हैं। इसके बाद स्टाफ पुलिस चौकी को मरीज के बारे में सूचना देता है। हो सकता है कि कर्मचारियों को चौकी से ही निर्देश मिले होंगे।
बुजुर्ग बात करने की स्थिति में नहीं है
आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि वे पुलिस चौकी में पदस्थ आरक्षक भरत के कहने पर बुजुर्ग को बस स्टैंड छोड़ने गए थे। मरीज के साथ कोई अटेंडर न होने की वजह से आरक्षक ने ही यह सलाह दी थी।