झालावाड़ - राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का हिस्सा गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई है, वहीं 28 घायलों में से 9 की हालत गंभीर हैं। मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी सरकारी स्कूल की क्लास में शुक्रवार सुबह बच्चे बैठे थे, तभी कमरे की छत ढह गई और 35 बच्चे दब गए थे।
ग्रामीणों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर मलबा हटाकर बच्चों को निकाला और अस्पताल में भर्ती कराया।
मनोहरथाना हॉस्पिटल के अनुसार 5 बच्चों की मौत मौके पर ही हो गई थी, वहीं 2 ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। हादसे को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दुख जताया है।
हादसे के बाद से ग्रामीणों में नाराजगी है। उनका कहना है कि लगातार बारिश से बिल्डिंग जर्जर हो गई थी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।
हादसे के बाद से ग्रामीणों में नाराजगी है। उनका कहना है कि लगातार बारिश से बिल्डिंग जर्जर हो गई थी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।
प्रार्थना के लिए सभी बच्चों को इकट्ठा किया था
गांववालों ने बताया कि वहां सुबह से बारिश हो रही थी। प्रार्थना का समय हुआ तो सभी क्लास के बच्चों को स्कूल के ग्राउंड में इकट्ठा करने की बजाय कमरे में बैठा दिया, ताकि वे भीगे नहीं। इसके कुछ देर बाद छत गिर गई और 35 बच्चे दब गए।
गांववालों ने बताया कि इस स्कूल में कुल 7 क्लासरूम है। हादसे के दौरान स्कूल के क्लासरूम में 71 बच्चे थे। स्कूल में 2 टीचर भी मौजूद थे, लेकिन छत गिरने के वक्त बिल्डिंग से बाहर थे, वे सुरक्षित हैं।
3 बड़ी लापरवाहियां, जिसने ले ली 7 बच्चों की जान
1. बच्चों ने कहा-कंकड़ गिर रहे हैं, टीचर्स ने ध्यान नहीं दिया: स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची वर्षा राज क्रांति ने बताया की छत गिरने से पहले कंकड़ गिर रहे थे, बच्चों ने बाहर खड़े टीचर्स को इसकी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया और थोड़ी देर बाद ही छत गिर गई।
2. 3 दिन पहले 10 दिन की छुट्टी कैंसिल कर दी गई : स्कूल के कुक व हेल्पर श्रीलाल भील ने बताया कि करीब 3 दिन पहले स्कूल की 10 दिन के लिए छुट्टी करने की बात सामने आई थी, लेकिन एक दिन की छुट्टी के बाद स्कूल फिर खोल दिया गया।
3. जर्जर भवन की सूची में नहीं स्कूल का नाम : कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि जो भी जर्जर भवन हो वहां स्कूलों की छुट्टी कर दी जाए, लेकिन खुद कलेक्टर कह रहे हैं कि न तो यह स्कूल जर्जर भवन की सूची में था और न ही यहां बच्चों की छुट्टी की गई।