मंदसौर -
शिवना नदी के तट पर स्थित विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में सावन के पहले सोमवार (14 जुलाई) को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने वाली है। मंदिर के गर्भगृह में विराजमान साढ़े 7 फीट ऊंची अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा विश्व की इकलौती ऐसी प्रतिमा है, जिसमें भगवान शंकर के आठ मुख अलग-अलग मुद्राओं में नजर आते हैं।
यही वजह है कि यह मंदिर न सिर्फ देशभर से, बल्कि विदेशों से भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं का केंद्र बना हुआ है।
विशेष पूजन और श्रृंगार की तैयारी पूरी
मंदिर के पुजारी राकेश भट्ट ने दैनिक भास्कर से चर्चा में बताया कि सावन के पहले सोमवार को भगवान पशुपतिनाथ का विशेष जलाभिषेक, दूध, दही, घी से अभिषेक और श्रृंगार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, यह भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा पर्व है।
प्रबंधन समिति के अनुसार, सोमवार को लगभग 25 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। भीड़ को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी, दर्शन बाहरी कतारबद्ध व्यवस्था से कराए जाएंगे।
मंदिर प्रबंधन की व्यवस्था
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर प्रबंधन ने विशेष इंतजाम किए हैं। भीड़ प्रबंधन, जल व्यवस्था, सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से समितियां गठित कर दी गई हैं ताकि भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
अष्टमुखी पशुपतिनाथ की यह अद्भुत प्रतिमा सन 1939 में शिवना नदी से प्राप्त हुई थी। इसके बाद सन 1961 में गर्भगृह में स्थापित की गई। यह प्रतिमा आज भी अपने दिव्य स्वरूप और अद्वितीय शिल्प के कारण पूरे विश्व में आस्था और आकर्षण का केंद्र है।
शिवना नदी के तट पर बसा है भगवान शिव का यह मंदिर।