KHABAR: महिला पटवारी को 4 साल की सजा, पावती बनाने के लिए मांगी थी 10 हजार की रिश्वत, कोर्ट के फैसले के बाद भेजा जेल, पढ़े MP44NEWS की खास खबर

MP 44 NEWS August 1, 2025, 3:08 pm Technology

रतलाम - विशेष न्यायालय रतलाम ने रिश्वत लेने के मामले में पटवारी रचना गुप्ता (शर्मा) को दोषी करार देते हुए उन्हें चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत विशेष न्यायाधीश संजीव कटारे ने सुनाया। सजा सुनाए जाने के बाद रचना गुप्ता को तत्काल जेल भेज दिया गया। न्यायालय के आदेश के बाद भी मांगी रिश्वत सहायक निदेशक अभियोजन एवं जिला अभियोजन अधिकारी आशा शाक्यवार ने बताया कि ग्राम पलसोडी, जिला रतलाम निवासी गोपाल सिंह गुर्जर ने 9 जुलाई 2021 को लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि उनकी छह बीघा कृषि भूमि (सर्वे क्रमांक 207/1/1) का नामांतरण न्यायालय के आदेश से हुआ था। इसके बावजूद पटवारी रचना गुप्ता ने नामांतरण की पावती तैयार करने के एवज में 10 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की। गोपाल सिंह के अनुसार रचना गुप्ता ने 8 जुलाई 2021 को यह मांग की थी, जिसकी जानकारी उन्होंने लोकायुक्त को दी। घर पर रंगे हाथ पकड़ी गई पटवारी शिकायत की पुष्टि लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव द्वारा कराई गई। गोपाल को एक डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया, जिसमें उसने रचना गुप्ता के साथ हुई बातचीत रिकॉर्ड की। इस बातचीत में रचना ने 10 हजार में से पहले 5 हजार रुपए लेने और शेष राशि बाद में लेने की बात स्वीकार की थी। इसके बाद 12 जुलाई 2021 को लोकायुक्त की टीम ने रतलाम के टेलीफोन नगर स्थित रचना गुप्ता के निवास पर ट्रैप की कार्रवाई की। गोपाल से 5 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रचना को रंगे हाथों पकड़ा गया। यह राशि उनके घर के बरामदे में रखी लोहे की पलंग पेटी से बरामद हुई। जांच में सामने आया कि यह वही नोट थे, जिन्हें लोकायुक्त ने पहले ही फिनाफ्थलीन पाउडर लगाकर गोपाल को दिए थे। रासायनिक परीक्षण में भी इसकी पुष्टि हुई। अभियोग पत्र दाखिल, कोर्ट ने सुनाया फैसला घटना की विवेचना पूरी होने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने 24 अगस्त 2023 को विशेष न्यायालय, रतलाम में रचना गुप्ता के खिलाफ अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। विचारण के बाद विशेष न्यायाधीश संजीव कटारे ने उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत दोषी माना और चार साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक कृष्णकांत चौहान ने पैरवी की।

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