मंदसौर- सांसद सुधीर गुप्ता ने साक्षरता में संशोधन के मापदंड में सुधार को लेकर लोकसभा में प्रश्न किया उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में साक्षरता के मानदंडों में संशोधन किया है। इसके क्या कारण है। सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में पूर्ण साक्षरता दर प्राप्त करने का कोई लक्ष्य निर्धारित किया है और पूर्ण साक्षरता प्राप्त करने के लिए राज्य सरकारों, विशेषकर कम साक्षरता दर वाले राज्यों के साथ कोई विचार-विमर्श किया है। इस संबंध में राज्य सरकार की क्या प्रतिक्रिया है। उन्होंने कहा कि देश में साक्षरता दर में पिछड़ रहे राज्यों के लिए कोई विशेष योजना बनाई है ।
प्रश्न के जवाब में शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री जयन्त चौधरी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उल्लास भारत साक्षरता कार्यक्रम कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य देश भर के निरक्षरों में साक्षरता को प्रोत्साहित करने में सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की सहायता करना है और यह 15 वर्ष से अधिक आयु के उन सभी लोगों को लक्षित करती है जो औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गए हैं।
भारत सरकार ने प्रगति का मूल्यांकन करने, सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा करने और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों की कार्यान्वयन कार्यनीतियों को सुदृढ करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ लिखित संवाद, क्षेत्रीय सम्मेलनों, वीडियो कॉन्फ्रेंस, क्षेत्रीय कार्यशालाओं और समीक्षा बैठकों के माध्यम से निरंतर सहयोग किया है।
35 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र उल्लास को कार्यान्वित कर रहे हैं और अब तक 1.7 करोड़ शिक्षार्थी बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान मूल्यांकन परीक्षा (एफएलएनएटी) में शामिल हो चुके हैं। उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत चार राज्य/संघ राज्य क्षेत्र, अर्थात् लद्दाख, मिजोरम, गोवा और त्रिपुरा, पूर्णतः साक्षर हो गए हैं।
इसी के साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के पैरा 21.4 में प्रौढ़ शिक्षा और आजीवन अधिगम का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है किः
"समुदाय की भागीदारी और प्रौद्योगिकी के सुचारू और लाभकारी एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रौढ़ शिक्षा के लिए सुदृढ एवं नवाचारी सरकारी पहलों को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा ताकि 100 प्रतिशत साक्षरता के सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों की प्राप्ति शीघ्र हो सके।